“Climate change is real. It is happening right now,
it is the most urgent threat facing our entire species and we need to work
collectively together and stop procrastinating.” - Leonardo DiCaprio, Oscars
2016
कुछ दिन पहले की बात है। मैं बैंक मे काम करता था। लगबग एक बजे के समय सीएम सार क्याबिन मे बुलाये और हम कुछ लोग सर के साथ चल पडे और सीधा कालेज पहुँच गये। मैं मन ही मन सोच रहा था सर हमे कालेज क्यू ले आये, बाद मे पता चला की जून 4, पर्यावरण दिन के लिये बात करने के लिये उस कालेज से सर को बुलाया गया था। कार्यक्रम चालू हुवा। सर, कालेज का उपाध्याय और कुछ छात्र स्टेज मे आके पर्यसवरण के कुछ नया संदेश दिये। उसके बाद फारेस्ट डिपार्टमेंट से लाया गया प्लांट्स को कालेज ग्रौंड पे लगाये। कार्यक्रम के बाद मुझे बुलाया गया और बैंकिंग के विषय के बारे कुछ हलका सा इंट्रो देने के लिये स्टेज मे बुलाये। हानेस्एली मैं भाषण करने के लिये बिलकुल प्रिपेर्ड नहीं था। जो होगा देखा जायेगा, वैसे ये मेरा प्रमोषन एग्साम तो नही है। The stakes are kinda very low here, "You miss 100% of the shots
you don't take - Wayne Gretzky, - Michael Scott" साल को याद करके स्टेज के ऊपर पहुँच तो गया। लेकिन इतना बडा जनसागर को देशके मैं नर्वस फील होने लगा। मन ही मन आल ईस वेल आल ईस वेल बोलके एक कहानी से शुरु किया।
“बहुत साल पहले राजा महाराजा के जमाने मे राकी भाय नाम का राजा राज करता था।“
“और हम आलरेडी केजिएफ दोनो चाप्टर दरख चुके हैं। “पिछले लायन मे से जो कामेंट आया उसको सुनके सभा जोर से हसने लगा।
“पंच अच्छा था। लेकिन मैं आपका ध्यान इधर हैं या सिनिमा हाल की चक्कर कर रहा हैं उसको चेक करने के लिये राकी भाय का टापिक से शुरु किया। Without any more punch and reverse punch, let's start.” बोलके मैं टापिक के ऊपर बात शुरु किया।
एक गाँव मे एक आदमी रहता था। उसका नाम दिनेश था और वो अकेला रहता था। इसके वजह से उसके घर मे ज्यादा फरगनिचर और कुछ अलग चीजे नही थे। कुछ समय के बाद उसके घर में चूहे चलने लगे। शुरु मे जब दिनेश बाहर जाता था, तब एक या दो चूहे आके जो चीज़ खाने को मिला उसको खाके चला जाते थे। उसका घर मे चूहे आने जाने का प्याटर्न दिनेश observe नही किया। कुछ दिनों के बाद चूहों के संख्या बडने लगा और ये बात दिनेश के नज़र मे आ गया। उसने चूहोंका पेस्टिसैड और कुछ अलग केमिकल्स घर मे लाके ट्राप बनाया लेकिन कोयी प्रयोजन नही हुआ । इसलिये उसने एक दिन पेट शेल्टर से एक बिल्ली को ले आया। और धीरे धीरे चूहों की संख्या कम हो गयी। और दिनेश को चूहे हर रोज दिखना बंद हो गया, वो बिल्ली को खाना देना छोड दिया। वो बिल्ली एक या दो दिन देखके कुछ स्कीम लगाके प्लान बनाके घर से भाग गया। दिनेश अब इतना आराम हो गया की वो वो बिल्ली घर मे ना होने का विषय नोटीस ही नही किया। That's all folks, The End.
"अब बतायिये इस कहानी से आपको क्या सीख मिलती है?"
"कि उसका नाम दिनेश नही, वो स्टुपिड है।" ब्याक बेंचर के कामंट से सभी छात्र हसने लगे।
"वो तो सी है। लेकिन इस कहानी प्राब्लम्स यानी समस्या की बारे मे है। कि हमारे जिंदगी मे हर प्रकार का समस्या आती हैं और हम उसको कैसे डील करेंगे उसका अनुसार हमारा लाय्फ निर्धरित होया है। There are obviously two types of problems, Real and Imaginary. रियल प्रब्लम्स जो हमे दिखता हैं या उनका एफेक्ट हमारे ऊपर होना हमे नजर आता है। जैसे की घर मे चूहे होना, एग्साम मे फेल होना, जीवन मे यश ना पाना इत्यादी। ये सब रियल प्राब्लम्स हैं और उनका इम्मीडियट एफेक्ट हम पे हो जाता है। और इम्याजिनरी प्राब्लम्स मतलब ये प्राब्ल्मस 100% रियल हैं पर उसका realisation हमे बहुत देर से हो जायेगा। जैसाकी इस कहानी मे उस बिल्ली का भाग जाना। जब वो बिल्ली घर मे था, कोई चूहे का समस्या नही था। और जब वो बिल्ली चला गया, उसका एफेक्ट immediately नही असर पडे या नही लेकिन बहुत व्यतिरिक्त परिणाम जरूर पडेगा। क्लामेट चेंज या ग्लोबल वार्मिंग की समस्या कुछ उस बिल्ली की तरह है। पर्यावरण इस कहानी मे आया हुवा बिल्ली के जैसा है। चब तक वो घर मे था, घर मे चूहे का समस्या नही था। इसलिये दिनेश याने की हम जैसे आम जनता आराम से जिंदगी गुजार रहे हैं। हमें ये बात याद रखना चाहिये कि पर्यावरण की वजह से हम है और हमारा रहना या ना रहने की वजह से पर्यावरण को ज्यादा कुछ फरक नही पडेगा। Obviously मानव का आने के बाद इस धरती मे बहुत सारे बदलाव आया हैं परंतु हमे ये याद रखना पडेगा की जो भी विकास हम जारी कर रहे हैं या करना चाहते हैं वो पर्यावरण के साथ साथ चलना चाहिये। And now coming to topic, as a banker, पर्यावरण कि संरक्षण के लिये मैं मतलब हम क्या कर सकते हैं? एक समुदाय होके हम सब पर्यावरण संरक्षण कि ओर कैसे बड सकते हैं। इस के बारे मे कुछ बताना चाहूँगा ।
१. पेपरलेस एटिएम ट्रानसाक्षन
एटिएम के द्वारा ट्रानसाक्षन करते वक्त एटिएम मशीन एक सवाल पूछता हैं, क्या आपको ट्रानसाक्षन रसीप्ट साहिये? मै हमेशा नो चूस करता हूँ, क्यूंकी मैं बैंक मे काम करता हूँ, अगर एक दो ट्रान मिस हो गया तो भी बैंक की तरफ भागकर पासबूक एंट्री कराने की जरूरत नही है। क्यूंकि पासबुक एंट्री करनेवाला बंधा मैं खुद हूँ । Jokes aside,
usually एक एटिएम रोल खतम होने मे दो तीन हफ़्ते तो लगेंगे । लेकिन हर मोबाइल बैंकिंग कस्टमर एक रेसीप्ट ना लेने से कम से कम दो बाक्स पूरा पेपर बच चाता है। As they say, supply and demand, एटिएम पेपर रल की डिमांड कम हो जाये तो already काटा हुवा पेपर पेड कोयी और stationery बनाने मे उपयोग होता है।
२. वाटर बाटल
मैं हमेशा बैग मे वाटर बाटल रखता हूँ। घर जाते वक्त एटिएम के पास नगरपालिका से लगा हुआ पौधा के पास पानी सब खतम करके जाता हूँ। It's not much, but it's honest work कहावत के अनुसार वो उतना बडा काम नही हैं, लेकिन दोपहार के समय वो एटिएम के पास चिंटु नाम का स्ट्रे डाग वहा पौधे के नीछे सोता है। It's like unappointed watch man of our ATM, I mean, पाईंट ये की पर्यावरण दिवस के समारंभ मे पेड पौधा लगाना आसान हैं, अब जो already existing पेडों को maintain करना मुषकिल है। इसलिये आप के धर जाते वक्त एक रोड सैड पेड कि देखबाल शुरु कर सकते हैं।
३. से नो टु प्लास्टिक
प्लास्टिक हमारी इको सिस्टम का एक अविभाज्य अंग हो गया है। सुबह पीने की वाटर बाटल से लेकर रातका फेसवाश बाटल तक सब कुछ प्लास्टिकमय बना है। सर्कार एक ही दिन मे कल से प्लासटिक ब्यान बोलके नया अधिसूचन ला सकता है। लेकिन उससे जुडा फ्याक्टरी व्कर्स ड्रैवर्स एसे हर व्यक्ती निरुद्योगी हो जायेगा। वो बहुत बडी प्लाब्लम है। लेकिन with in our limit, at banks, हम हर पैसे वितड्रा करने वालों को, पेन्शनर, महिला, सीनियर सिटिजन को क्लात ब्याग दे सकते हैं। And since it's reusable, we can limit plastic usage to some extent.
४. बेहतर कल
बैंक मे हर एक व्यक्ति पैसा सेव करता है। क्योंकि वो कल के लिये सहारा दे सके। लेकिन वो कल ही नही आया तो? इसलिए share your ride काफी उपयुक्त होता है। जैसा की इस फंक्षन मे आते वक्त मैं सर के साथ आया और हमारा एक ट्रिप का पेट्रोल बच गया। As I said already, it's not much, but it's honest work, चार पांच बैंक मिलके बैंक को आनेवाले स्टाफ या कस्टमर को सामूहिक वाहन दे सकता है। इसकी वजह से दस व्यक्ति एक ही जगह जाने की लिये दस गाडिया लेना रुक जायेगा और कल के लिये थोडा पेट्रोल बच जायेगा और आज के हिसाब से पोलुषन थोडा कम।
"पर्यावरण की संरक्षण मे बैंको की भूमिका के बारे मे ये हो गया है। और मैं सर्कार से विनंती करता हू की, save paper, stop cutting trees, say
no to exams"
लास्ट बेंच स्टूडेंट्स झोर से ताली मारने लगे और हम बैंक काम के लिये कालेज से निकले।
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