This year, I got 3rd place in Hindi Swatantra Lekhan Competition. Here is the article that I submitted:
कुछ दिन पहले की बात हैं| मैं बैंक में था और एक माँ अपनी शायद आठ साल की बेटी के साथ उसका स्टूडेंट अकाउंट ओपन करवाने की लिए आयी थी| मैं अकाउंट ओपनिंग प्रोसेस शुरू किया और उस वक्त में वो लड़की उठ रही थी, बैठ रही थी, नाधीम धीम तना जैसे कुछ गाना गा रही थी| उसकी माँ उसे धीरे सेआवाज़ से डांट भी रही थी| बच्चे किस का सुनते हैं? वोह बस खुद की सुनते हैं| इन सब चीज़ों के बीच में मुझे फिनाकल लॉगिन होना पड़ा और मैं अपने पीसी में आयडी पासवर्ड लगाया, और बायोमेट्रिक कैप्चर के लिए जा रहा और उसी टाइम में उस लड़की "हाय लाइट" बोलके उसका ऊँगली रख दिया और मेरा बायोमेट्रिक कैप्चर फ़ैल हो गया| मुझे अचानक से हसी आ गयी पर अपने आपको संभालते हुए मैं उस काम को छोड़कर अकाउंट ओपनिंग प्रोसेस पर ध्यान देने लगा| उसी समय उस लड़की की माँ उस लड़की को और झोर से डांट रही थी| मैं अकाउंट वेरिफिकेशन करवाके, सेल्फ पासबुक इशू करके, उस लड़की के माँ को पासबुक देके, उधर सेल्फ पासबुक प्रिंटिंग मशीन में पासबुक प्रिंट करवाने को बोला। और फिनाकल लॉगिन करने चला| इस बार अपना एड़ी पासवर्ड लगाके मैं उस छोटी लड़की को ही देख रहा था, कही बायोमेट्रिक डिवाइस पे हाथ ना लगाए, उसके लिए मैं तैयार रहा था| Thank God, इस बार उस लड़की ने ऐसा कोई ट्विस्ट नहीं दिया| मैं लॉगिन होक अपना काम कर रहा था| उस लड़की ऊपर निचे देखके मुझसे पुछा' "अंकल, ये सब ऊपर बैंक को क्यों सजाया गया हैं"? उस दिन बैंक की फाउंडेशन डे था, मुझे काम के बीच में वह विषय मैं भूल ही गया था|
मैंने कहा, "बेटा, आज बैंक का फाउंडेशन डे हैं"|
उस लड़की ने पुछा "पद नेशन डे क्या हैं?"
मैंने कहा, "पद नेशन डे नहीं हैं, फाउंडेशन डे हैं, मतलब सिंपल बात में बोले तो बैंक का बर्थडे"|
उस लकड़ी ने बोला, "हैप्पी बर्थडे अंकल"
"आज मेरा बर्थडे नहीं हैं बीटा, but I got the point, बैंक की तरफ से धन्यवाद, आप ये टॉफी लीजिये"
वह लड़की टॉफी देख रही थी पर हाथ नहीं लगा रही थी| मैंने पुछा क्या हुआ बीटा, टॉफी लीजिये, आज आप जैसे बच्चों को देने के लिए रखा गया हैं"| उस लड़की ने दो सेकेण्ड रुख कर बतायी, "मम्मी ने कहा हैं, कोई दूसरों से टॉफी कभी नहीं लेना हैं"| मैं आश्चर्यचकित हो गया, दो मिनट पहले बिना सोच समझ कर मेरा बायोमेट्रिक डिवाइस पे ऊँगली रख दिया इस लड़की ने, अब टॉफी के विषय पे कितना समझदारी दिखा रही हैं| मुझे इस बात पे बहुत आश्चर्य हो गया, तब उस समय उस लड़की के माँ आ गयी और मुझसे पुछा "आगे क्या करना हैं सार?" मैंने कहा, "कुछ नहीं, आप बस इस पासबुक को ज़ेरॉक्स करवाके स्कूल प्रिंसिपल के पास दीजिये, वह आपकी बेटी का स्कालरशिप का एप्लीकेशन प्रोसेस करेंगे|
उन्होंने मुझसे कहा, "धन्यवाद सर, हम अब चलते हैं"
मैंने कहा, "आज बैंक का फाउंडेशन डे हैं, आप ये टॉफी लीजिये, आप और आप की बेटी के लिए"
उन्होंने टॉफी लेकर उनकी बच्ची को दिया और उस लड़की बाकी सब विषय को साइड में लगाके, टॉफी खाना शुरू करने लगी| उसके बाद वह दोनों चले गया|
कुछ दिन बाद मैं डेपुटेशन पे जा रहा था, और surprisingly उस दिन बस में भीड़ थोड़ा काम था| मैंने टिकट लये, कंडक्टर ने मुझे ₹५ चेंज दिया, मैं मेरे बाजू के सीट में बैग रखके गाना सुनते गया| जब मेरा स्टॉप आया तो मैं उतरने के लिए खड़ा हुआ, एक महिला ने मेरे सीट पे पड़ा हुआ ₹५ चिल्लर को धिखाके "आपका पैसा पड़ा हैं, लीजिये" Usually, मैं पैसों की विचार में थोड़ा अलर्ट रहता हूँ, लेकिन कभी कभी ऐसा हो जाता हैं| मैंने उस महिला को धन्यवाद बोलके अपना 5 चिल्लर वॉलेट में डालके बैंक पहुंचा|
एक हफ्ते के बाद मैं बैंक से घर आ रहा था और मैं उस दिन बैंक में से पैसा विथड्रॉ करना भूल गया था| तो जब मैं रास्ते मे बैंक का एटीएम देखा तोह जल्द से जल्द एटीएम रूम के अंदर गया और देखा मैं एटीएम कार्ड घर में भूलके आया था| एटीएम में कॅश आन मोबाइल ऑप्शन भी था, पर मुझे ज्यादा कॅश चाहिए था, तो मैं प्लान छोड़ दिया| चलो कोई बात नहीं, कल देखेंगे, ऐसे अपने आपको मन ही मन बोलके एटीएम रूम से बाहर आ रहा था, तब एक आदमी एटीएम रूम के अंदर जा रहा था| उसने मुझे पुछा, "सार, एटीएम में कॅश हैं?"
मुझे क्या पता, मेरे पास कार्स ही नही हैं। वैसे मैने कहा नही, I simply said, "हाजी, कॅश हैं" वह कस्टमर अंदर गया और अपना ट्रांसक्शन कर रहा था, मैं बहार फूटपाथ में खड़े होक app में बैलेंस चेक कर रहा था| उस समय मैंने देखा, अरे इस कस्टमर ने उसके बाइक में ही बाइक का के छोड़ दिया हैं| Already मैं थोड़ा थक चूक था, तोह बाइक में छवि देख कर, बाइक को किडनैप करने का आलोचन आया, उसे Intrusive Thoughts कहते हैं, एक चीज़ या घटना को देख के, तुरंत आने वाला विचार, वह मोरली सही हैं या गलत उसे सोच कर हम डिसिशन लेते हैं| For example, मेरा बैंक का बायोमेट्रिक कैप्चर इंसिडेंट, वह बच्ची छोटी थी, वह ज्यादा सोचने वाली उम्र नहीं था, ज्यादा सोचे बिना उस लड़की ने बायोमेट्रिक डिवाइस पे अपना हाथ रख दिया| वह इंसिडेंट छोटी बात हैं, वह गलत हो सकता हैं, लेकिन अपराध नहीं हैं| लेकिन मैं एटीएम के बाहर बाइक को उसके छवि के साथ देखा तो बाइक को ले जाने की विचार आया, वह गलत भी है और अपराध भी हैं| इसी लिए समाज में सही और गलत, Ethical Decision Making सिखाया जाता हैं| क्या काम कर सकते हैं, क्या नहीं कर सकते हैं, ये सब हमें स्कूल में सिखाया जाता हैं, वह लड़की होशियार थी, खेल रही थी, गाना गए रही थी, फिर भी जब मैं टॉफी दिया तोह, वह लड़की मुझसे टॉफी लिया नहीं| वह लड़की टॉफी सिर्फ तब खायी जब उसकी माँ ने मुझसे टॉफी लेने की permission दिया| मैं बैंक में जितना भी बड़ा पोजीशन में काम करू या नहीं, वह विषय matter नहीं होता हैं, बस ये चीज़ matter होता हैं की, मैं उस छोटी लड़की के point of view से मैं अपरचित हूँ| और उस लड़की की माँ ने उसे बोला था, कोई अपरिचित लोगों से टॉफी या कोई खानेवाला चीज़ न ले| कुछ समय बाद वह आदमी एटीएम से बाहर आके पैसा अपने वॉलेट में रखके बाइक का के ढूंढ रहा था| तोह मैंने बताया, "आपका बाइक के आपके बाइक में ही हैं सार"| वह बहुत आश्चर्यचकित होक बोला, "थैंक यू सर, इतने देर तक मेरा बाइक guard किये थे आप, थैंक यू, थैंक यू" बोलके वह चला गया| उसे देखके मैं मुस्कुरा रहा था, मैं उसका बाइक किधर गार्ड किया था, मैं फुटपाथ में खड़े होक अपने ही दुनिया में कुछ कुछ सोच रहा था, बाइक में छवि देखके बाइक लेके जाने का थॉट भी आया, शायद सबको आता होगा, नहीं होगा, वह पता नहीं| लेकिन मैं अपना इन्ट्रूसिवे थॉट्स तो हराके एथिकल रीजनिंग को फॉलो किया|
कभी कभी, Intusive thoughts आगे आके हमारा डिसिशन मेकिंग को ऊपर निचे कर देता हैं| बस में उस दिन उस महिला बाजू की सीट में पड़ा हुआ ₹५ रुपए ले सकती थी, वह किसी को भी पता ही नहीं चल जाता था, लेकिन वह उसकी इन्ट्रूसिवे थॉट्स को हराके एथिकल डिसिशन लिया और मुझे मेरा पैसा वापस दिया|| हमारा अफीसर कहते थे, सचाई की रास्ता कठिन हैं, उसमे प्रयाण काफी लम्बा होता हैं, अकेलापन होता हैं, और कुछ समय हमें गलत जगह पर पहुंचा सकती हैं, जैसे की हम सब कुछ सही करने के बाद भी, हुम बुरी परिस्थिति में फस सकते हैं, लेकिन सचाई का रास्ता हमें कभी भी छोड़ना नहीं चाहिए| That reminded me of विजय बैंक ट्रेनिंग डेज, हर रोज़ सुबह क्लास शुरू होने से पहले गुड्डी (1971) फील्म का प्रेयर गाने से शुरू होता था| हमको मन की शक्ति देना, मन विजय करे, दूसरों की जय से पहले, खुद को जय करे| कभी कभी बिना सोचे गलती हो जाती हैं, लेकिन righteousness is not the destination, it's every day journey and continuous battle. इसके लिए, Dear God, हमको मन की शक्ति देना|
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